सूखी टहनी से लटके बियाबान घौंसले की उदासी
महसूस करता हूँ बाजरे के ताज़ा दानों की महक
रह रह के झाँकती है इक रौशनी वहाँ से
सुबुकता होगा कोई जुगनू, शायद किसी की याद में
हवा की हथेली पे लिखा सन्देश
न लौट के आने वाले पंछी ने देखा तो होगा ...
महसूस करता हूँ बाजरे के ताज़ा दानों की महक
रह रह के झाँकती है इक रौशनी वहाँ से
सुबुकता होगा कोई जुगनू, शायद किसी की याद में
हवा की हथेली पे लिखा सन्देश
न लौट के आने वाले पंछी ने देखा तो होगा ...