स्वप्न मेरे: ख़ुशी के साथ थोड़ा गम मिला है ...

सोमवार, 18 जुलाई 2016

ख़ुशी के साथ थोड़ा गम मिला है ...

कहाँ फिर एक सा मौसम मिला है
ख़ुशी के साथ थोड़ा गम मिला है

किसी दहलीज़ से जाता भी कैसे
तेरी चौखट से बस मरहम मिला है

कहीं से आ गया था ज़िक्र तेरा
मुझे हर शख्स चश्मे-नम मिला है

मुझे शिकवा है तेरा साथ जाना
मिला बे-इन्तहा पर कम मिला है

मेरा बनकर ही मुझको लूटता है
गज़ब मुझको मेरा हमदम मिला है

अकेला ही चला जो जिंदगी में
कहाँ उसका दिया मद्धम मिला है

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