स्वप्न मेरे: इन आँखों से ये ख्वाब ले लो ...

सोमवार, 14 नवंबर 2016

इन आँखों से ये ख्वाब ले लो ...

अपने ख़त का जवाब ले लो
इन हाथों से गुलाब ले लो

चाहो मिलना कभी जो मुझ से
दिल की मेरे किताब ले लो

अनजाने ही दिए थे जो फिर
उन ज़ख्मों का हिसाब ले लो

मिलने वाला बने न दुश्मन
चेहरे पर ये नकाब ले लो

अमृत सा वो असर करेगी
उनके हाथों शराब ले लो

काटेंगे ये सफ़र अकेला
इन आँखों से ये ख्वाब ले लो

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